हिन्दी दिवस
जब तक सूरज चाँद रहेगा
जग हिन्दी की सम्मान करेगा
जो भारतीयता की मूल आत्मा है
जन जन में बसा परमात्मा है
संस्कृत भाषा जिनकी है माता
हर काव्य से है जिनका नाता
तुलसी कबीर की ये वाणी है
काव्य सरिता की रवानी है
गीता रामायण में है समाया
अज्ञानी से ज्ञानी जिसने बनाया
अ से आगाज है इनकी यात्रा
ज्ञ से समापन है इनकी पात्रा
बावन अक्षर भरा गागर है
विज्ञान में समाया चादर है
मुहावरों की बहती जहाँ धारा
अनेक विचारों का है नारा
समृद्घ शब्दों का है भंडार
अभिव्यक्ति से भरा संवाद
हिन्दी ज्ञान की रत्नागिरि
जिसने ढुँढ़ा है पाया सही
आओ राष्ट्रभाषा की मान करें
अपनी भाषा पे अभिमान करें
अंकों की बड़ी पहाड़ा है
वाद विवाद का एक अखाड़ा है
— उदय किशोर साह