कविता

हिंदी हमारी प्रिय भाषा!

 

हिंदी हमारी प्रिय भाषा,

सम्मानित हो राष्ट्रभाषा,
हिंदी हमारी बोली हो,
हिंदी हमारी शान हो।।
ह्रदय पुलक का गुंजन,
अपनों से होवे प्रीत-मिलन,
सुर, लय, ताल सजे सरगम,
मीठी-मीठी वाणी मधुरिम।।
एकता का जगाये भाव,
प्रेम, भाईचारा और सद्भाव,
विभिन्न भाषाओं की रानी,
हिंदी भाषा हैं मनमोहिनी।।
सहज, सरल, सुगम,सुहाया,
अलंकारिक रूप मन भाया,
शब्द पुष्पों से गुंथते माला सुन्दर,
महान विद्वान हिंदी के हस्ताक्षर ।।
हिंदी का हमें हैं अभिमान,
मातृभाषा से हमारी पहचान,
भारतीय संस्कृति का आधार,
समृद्ध भाषा में हो व्यवहार।।
समूचा विश्व हिंदी पढ़ना चाहे,
भावप्रवणता से मुग्ध हो जाये,
संकल्प से होगा हिंदी का उत्थान,
मातृभाषा का नित गौरवगान।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८