सम्पूर्णता भरी हिंदी
मुझमें कोई भेद नहीं छोटे और बड़े का
ना ही कहीं रहे आधा कोई वर्ण अकेला
मैं हूँ माँ भारती के मस्तक की सुंदर बिंदी
गर्व करो मुझपर मैं हूँ सम्पूर्णता भरी हिंदी
कुछ भी मुझमें है नहीं अधूरा
हर अक्षर अक्षर मिलकर पूरा
हर वर्ण का स्वर बोला जाता
नहीं मूक कोई स्वरबन्दी
गर्व करो मुझपर मैं हूँ सम्पूर्णता भरी हिंदी
मैं उम्र देख सम्बोधन करती
सबमें कहाँ एक भाव भरती
है स्पष्ट और वैज्ञानिक भी
हर उच्चारण आनंदी
गर्व करो मुझपर मैं हूँ सम्पूर्णता भरी हिंदी
आधे अक्षर को पूरे का सहारा
मिलकर जीने का जैसे इशारा
भाषा सिखलाती समरसता
हर भाषा से रजामंदी
गर्व करो मुझपर मैं हूँ सम्पूर्णता भरी हिंदी
— प्रियंका अग्निहोत्री “गीत”