हिंदी
हिंदी हैं हम बिंदी हैं हम माँ भारती के भाल की
है सुशोभित पुष्प संरचना ये उर के माल की
है एकता में अनेकता
फिर भी है ये समरसता
सब अंग हैं हिंदी के
हिंदी सबके धड़कन ताल की
हिंदी हैं हम बिंदी हैं हम माँ भारती के भाल की
रचना नहीं इसके बिना
कोई नहीं है कल्पना
बढ़ती नहीं है लेखनी
माँ शारदा के लाल की
हिंदी हैं हम बिंदी हैं हम माँ भारती के भाल की
शब्दों में भावों को बसाये
कवि के मन को सजाये
स्वाती बसाये हृदय में
वैसे वधू को पालकी
हिंदी हैं हम बिंदी हैं हम माँ भारती के भाल की
— पुष्पा अवस्थी “स्वाती”