हिंदी
हिंदी,जैसे सजी है बिंदी माथे पर
शोभित जिससे मेरी माँ भारत है
अनेक भाषाओं के पहने वो गहने
सभी से सुंदर बस उनकी मूरत है
सरल सुलझी ये मेरी माँ के जैसी
बड़ी प्यारी देखो इसकी सीरत है
सभी भावों की छवि इस दर्पण में
आसान इतनी कि सभी को हैरत है
— आशीष शर्मा ‘ अमृत ‘