गीतिका/ग़ज़ल

आग चूल्हों से निकलकर लग रही बाज़ार में

आग चूल्हों से निकलकर लग रही बाज़ार में
क्या गज़ब है ये ख़बर है ही नही अख़बार में

बेईमानी की सियाही के असर में आ गयी
अब कलम है ही कहाँ अपने असल किरदार में

कुर्सियों ने भीड़ की झूठी गवाही मान ली
सच बहस करता रहा कानून की बेकार में

नफ़रतों की द्वेष की खुलती नही क्यूँ मंडियाँ
वोट भी हैं नोट भी जब धर्म के व्यापार में

राज़दाँ सबको हमारे राज़ बतलाता रहा
और हमको ये भरम था, कान हैं दीवार में

जा रहे हो, ठीक है जाओ, मगर इतना कहो
क्या यक़ींनन कुछ कमी थी प्यार मेरे प्यार में

सतीश बंसल
१६.०९.२०२२

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.