कविता

छोटी छोटी खुशी

ओस की तरह छोटी छोटी खुशी होती है
मन की सब कलियां खिला देती है
सुख दुख तो आता जाता रहता है
हमारा दिल खुशियों से भरा रहता है
छोटी छोटी खुशी को हम अपनें में ढूढ़ लेते है
चिड़िया का चहकना या कोयल की मीठी तान हो
नदियां ,झरना,का कल कल करता पानी हो
हरी हरी हरियाली प्रकृति का सिंगार हो
इन सभी में बसा छोटी छोटी खुशी का भण्डार है
बच्चों के साथ मस्ती ,खेलकूद या शरारत करना
माँ का प्यार से वो डांटना और मनाना
जीवन में यही छोटी छोटी खुशी अनमोल है.
— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश