गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

हर ग़म को अब गले लगाना सीखो
आँसू को हथियार बनाना सीखो।

फूलों की बातों से कुछ न होगा
खारों को तलवार बनाना सीखो।

जीवन-सागर में जब नाव फँसी हो
हिम्मत को पतवार बनाना सीखो।

काली रात है कोई साथ न देगा
अंधियारों में राह बनाना सीखो।

ज़ालिम दुनिया में गर जीना हो तो
नरमुंडो का हार बनाना सीखो।

रूठा है सिंगार तो ग़म ना करना
अब शोलों से देह सजाना सीखो।

‘शरद ‘ कठिन है अंगारों पर चलना
लपटों में भी जश्न मनाना सीखो।

— शरद सुनेरी