क्षणिका

हिन्दी की बिंदी

क्या आपको ये भी
कुछ  अजीब नहीं लगता,
हिन्दी का जलवा
तनिक समझ नहीं आता?
तो एक बार इस पर कुछ
बेशर्मी से ही बोलिए तो सही
अंग्रेजी के अक्षर भी गुम हो जाते हैं
मगर हमारी प्यारी हिन्दी का
जलवा तो देखिए,
हिन्दी की बिंदी भी मौन नहीं होती
अपनी उपस्थिति का
अहसास ही नहीं कराती
मुस्कराती, गुनगुनाती,
शान से बोलती है,
हिन्दी का जलवा क्या है
सारी दुनिया को बताती है।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921