क्षणिका कविता दिलिणि तक्षिला सेव्वन्दि 19/09/202222/09/2022 तेरे दिल के आसमान पर निकलता सुधाकर मैं ही हूँ एक भी सितारे नहीं चाहिए बस रात का इंतज़ार है — दिलिणि तक्षिला सेव्वन्दि