वे हैं रौनक मेरी दुनिया को महकानेवाली वे हैं जंगली कली मेरी तू ही पूजा और सुकून मेरी नाम से वे माँ हैं मेरी — दिलिणि तक्षिला सेव्वन्दि
Author: दिलिणि तक्षिला सेव्वन्दि
द्वितीय वर्ष की छात्रा, श्री पालि मंडप, कोलम्बो विश्वविद्यालय, श्री लंका
कविता
तेरे दिल के आसमान पर निकलता सुधाकर मैं ही हूँ एक भी सितारे नहीं चाहिए बस रात का इंतज़ार है — दिलिणि तक्षिला सेव्वन्दि