संध्या की बेला है
या रंगों का मेला है
नभ ने बनाई है रंगोली
या खेल रहे हैं बादल होली
बादल हैं मोहन लिए पिचकारी
बदरिया है राधा लिए कटि में कमोरी
गगन बना है वृंदावन, गोप-गोपियां प्यारे
चंदा है मनभावन रसिया
रास रचा रहे तारे
लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं।
लीला तिवानी
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