गीत/नवगीत

हर मानव मन का प्यार बनो

विवेकी  बनो  सत्यपथ  के,जीवन का तुम आधार बनो।
इंसानियत के  देव बनो , हर  मानव मन का  प्यार बनो।
पतझड़ से सूखे नयनों को, अपने पलक की छाँव दे दो।
उँगली पकड़ कर अनाथ की, उसे जीवन का नाम दे दो।
भूखे पेट  बिलख रहा जो, अपना हिस्सा  काट के दे दो।
अपनी मेहनत में से थोड़ा, हिस्सा बनता  बाँट  के दे दो।
दान दिया  ईर्ष्या मत करना, ऐसा ही तुम  उपकार करो।
इंसानियत का  देव बनो , हर मानव मन का  प्यार बनो।
बगुले  की  तरह  मत झांको, किसी का हक जताने को।
अपनी खुशी की ख़ातिर रे, मत खुश हो दिल दुखाने को।
पकड़ो  हाथ  बेसहारे  का, जो साथ  तुम्हारा  मांग रहा।
दुख के दल दल में फंस के, जीवन की  गाड़ी हांक रहा।
जिंदा  रहे इंसानियत  सदा, मर्यादा  का  व्यवहार  बनो।
इंसानियत  के देव  बनो , हर मानव मन का  प्यार बनो।
काम क्रोध मद लोभ छोड़, नेकी की राह अपना लो तुम।
तिरस्कृत जो हुए दीन हैं, उन को  गले से लगा लो  तुम।
भाईचारा सुदृढ़  बनाओ, प्रेम की  ज्योति  जगाओ तुम।
मानव चोला नहीं मिलेगा, मानव का फर्ज निभाओ तुम।
भेद भाव  की  कुंठा त्यागो, सब  के गले का  हार बनो।
इंसानियत  का देव  बनो, हर मानव  मन का प्यार बनो।
— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995