विवेकी बनो सत्यपथ के,जीवन का तुम आधार बनो।
इंसानियत के देव बनो , हर मानव मन का प्यार बनो।
पतझड़ से सूखे नयनों को, अपने पलक की छाँव दे दो।
उँगली पकड़ कर अनाथ की, उसे जीवन का नाम दे दो।
भूखे पेट बिलख रहा जो, अपना हिस्सा काट के दे दो।
अपनी मेहनत में से थोड़ा, हिस्सा बनता बाँट के दे दो।
दान दिया ईर्ष्या मत करना, ऐसा ही तुम उपकार करो।
इंसानियत का देव बनो , हर मानव मन का प्यार बनो।
बगुले की तरह मत झांको, किसी का हक जताने को।
अपनी खुशी की ख़ातिर रे, मत खुश हो दिल दुखाने को।
पकड़ो हाथ बेसहारे का, जो साथ तुम्हारा मांग रहा।
दुख के दल दल में फंस के, जीवन की गाड़ी हांक रहा।
जिंदा रहे इंसानियत सदा, मर्यादा का व्यवहार बनो।
इंसानियत के देव बनो , हर मानव मन का प्यार बनो।
काम क्रोध मद लोभ छोड़, नेकी की राह अपना लो तुम।
तिरस्कृत जो हुए दीन हैं, उन को गले से लगा लो तुम।
भाईचारा सुदृढ़ बनाओ, प्रेम की ज्योति जगाओ तुम।
मानव चोला नहीं मिलेगा, मानव का फर्ज निभाओ तुम।
भेद भाव की कुंठा त्यागो, सब के गले का हार बनो।
इंसानियत का देव बनो, हर मानव मन का प्यार बनो।
— शिव सन्याल