छंद
तुल ने तुल को मार कर, स्थापित तुल राज,
तुल मर्यादा रूप हैं, कुंभ दिये बिसराए।
मेष सदा संग में रहे, बन सेवक का पर्याय,
कर्क औषधि लाय क़र, मेष दियो बचाये।
मीन बहुत विचलित हुई, सुन मिथुन की बात,
तुल के बिछुडन अहसास से, प्राण दिये गँवाये।
मेष कुटनीतिज्ञ बहुत, तुल को दिये ललकार,
तुल जब पैरों में झुका, संदेश दिया सुनाये।
अ कीर्ति वर्द्धन
मेष- लक्ष्मण
तुल- राम व रावण
कुम्भ- सीता
मीन- दशरथ
कर्क- हनुमान
मेष- अंगद
राम ने रावण मारकर, स्थापित रामराज किया,
राम मर्यादा रूप हैं, सीता को भी बिसरा दिया।
लक्ष्मण सदा संग में रहे, बन सेवक का पर्याय,
हनुमान ने औषधि ला, लक्ष्मण को बचा दिया।
दशरथ बहुत विचलित हुए, सुन कैकेयी की बात,
राम बिछुड़ने मात्र से, दशरथ प्राण गँवाये
दिया।
अंगद कुटनीतिज्ञ बहुत, रावण को ललकार दिया,
रावण पैरों में झुका, राम संदेश सुनाये दिया।
— अ. कीर्ति वर्द्धन