डर
“बहू, क्यों रुला रही है मेरे गोपाल को? ला दे जो यह कह रहा है।” पोते को लाड लडाते सासु माँ बोली।
“नहीं माँ! बहुत जिद्दी और गुस्सैल हो गया है यह।”
“अरे! अभी बचपना है, सुधर जाएगा, ” फिर हंसते हुए सासु माँ ने कहा, “तुझे क्या लगता है बड़े होकर भी यह ऐसे ही …..”
“क्या पता?” भविष्य का सोचते ही बहू सिहर उठी, “अगर ऐसा ही रहा तो हो सकता है कि कल बात-बात पर चिल्लाने वाला, धमका कर बात मनवाने वाला एक और तानाशाह पैदा हो जाए।”
बहू का डर, अब सास की आंखों में भी उतर आया था।
अंजु गुप्ता