धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

अधर्म पर धर्म की स्थापना का पर्व दशहरा

हमारे देश के हिंदुओं का सबसे पावन त्यौहार दशहरा माना जाता है।जिसे दशहरा के नाम से जाना जाता है। दशहरा का पर्व आश्विन माष को दशमी तिथि को मनाया जाता है।इस दिन को असत्य पर सत्य की,बुराई पर अच्छाई की,अधर्म पर धर्म की,अहंकार पर प्रेम सद्भाना की आशक्ति पर शक्ति की जीत का प्रतीक माना जाता है।इसी दिन भगवान राम ने रावण को मार कर माता सीता को अहंकारी रावण से मुक्त किया था।और अहंकार,आशक्ति,अधर्म का प्रतीक रावण,मेघनाद सहित पूरी लंका को हनुमान जी के द्वारा अग्नि के हवाले करते हुए लंका दहन भी किया था।
आइए हम राम के आदर्शों पर चलने की शपथ खाएं, और ये प्रयाश करें कि हमारे जीवन में मात्र और मात्र अच्छाइयों का प्रादुर्भाव हो,बुराइयों का खात्मा हो।
ये पावन दशहरा उत्सव आत्म अनुशासन का पर्व है।नैतिकता और मानवता का पर्व है। धर्म आस्था विस्वास का पर्व है।ये पर्व सत्य और न्याय का पर्व है।ये पर्व नारियों के सम्मान का पर्व है।ये पर्व मानवता के कल्याण और उसके उत्थान का पर्व है।
ये पर्व है अपनी धरोहर और परम्परा के को आगे बढाने का।ये पर्व हैं अपनी संस्कृति और सभ्यता को अक्षुण बनाए रखने का है।ये पर्व है शक्ति की साधना का,ये पर्व है शस्त्र के पूजन का,प्रेम और सद्भावना का।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि यह पर्व मानवता के विकास,देवत्व की स्थापन और आसुरी उपद्रव का खात्मा करना है। आइए हम राम के आदर्शों को आत्मसात करें,और रावण का प्रतीक आसुरी दुष्ट प्रवृतियों को हमेशा हमेशा–हमेशा के लिए त्याग करें।तभी यह दशहरा का पर्व सार्थक हो पायेगा।

— अशोक पटेल “आशु”

*अशोक पटेल 'आशु'

व्याख्याता-हिंदी मेघा धमतरी (छ ग) M-9827874578