कविता

सज्जन का निवास

जहाँ होती है सज्जन जन का निवास
वहाँ होती है नित्य पुण्य धर्म की संवाद
जहाँ होती है दुर्जन जन का अधिवास
वहाँ फलता है विवाद और    फसाद

जहाँ परम मित्र मिले वहाँ है जाना
सब को अपना तब मित्र       बनाना
भूले भटके का नहीं करना   गुणगाण
जिनसे आम जन है जग में परेशान

जहाँ सुकुन का फलता है फल बीज
हर दिन होता है वहाँ जगत में  तीज
धनवान की चंगुल में कभी ना आना
शोषण का होता है वहाँ     जमाना

जिस नगरी में होता है दुष्ट बेईमान
वहाँ ना बचता इज्जत व   ईमान
संतोष जगत में परम सुख  धामा
अपना कुर्ता है और अपना पजामा

जहाँ ना मिलता है कोई भी सम्मान
बन जा उनके लिये तुँ भी अनजान
जहाँ पे बसते हैं जगत के भगवान
वहाँ मिलते हैं नित्य भले  इन्सान

जो है समाज में चेहरा   शैतान
ना करना है कभी दुष्ट की गुणगाण
जहाँ बसते है सभ्य  विद्वजन समाजा
वहाँ ना टिक पाता है बेईमानी का  राजा

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088