क्षणिका क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 07/10/2022 हम दोष ढूंढने में हैं माहिर शब्द पकड़ बैठ जाते हैं शब्दों के पीछे की भावना नहीं हम पढ़ पाते हैं ❤️🙏