भूख का दर्द
भूख का दर्द वो क्या जाने
जो भूखा कभी ना सोया हो
भूख की मरम वो क्या जाने
जो कभी भूख से ना रोया हो
पेट की अगन और इसकी तपिश
कोई भूखा ही यह जानता है
ऊँचे महल में रहने वाले
भूख को नही पहचान पाता है
पर्णकुटी की टुटी खटिया में
कोई भूख से सो नही पाता है
तब उठती है क्रोध की ज्वाला
जब कोई भूखा रोता है
चिंगारी उठती है क्रोध की
बगावत खड़ा आगे होता है
रोक नहीं पाता है तब ताकत
भूख की ज्वाला जब उठता है
दूध मलाई खाकर पड़ोसी
जब चैन की वंशी बजाता है
झोपड़ी में सोई बगावत
बगावत पे उतर जाता है
अमीरी गरीबी के बीच की खाई
कोई पाट नहीं पाता है
कोई मसीहा नहीं है झ्स जग में
जो गरीब की गरीबी समझ पाता है
— उदय किशोर साह