मां
मैं इतनी बड़ी भी नहीं हुई
चार कदम तो मैं चल दी
पर अभी अधूरी जिंदगी है मां
छोड़ दो आप मुझे, मैं इतनी भी बड़ी नहीं हुई मां।
तो क्या हुआ आज घर है होठों पर ढेरों खुशियां मां
आप डांट ना सको मुझे मैं इतनी भी तो बड़ी नहीं हुई मां।
जाग कर, कर लेती हूं आज काम मैं अपने,
सोने में होती बहुत आसानी मां
पर आप आंचल में ना सुला सको मुझे, मैं इतनी भी तो बड़ी नहीं हुई मां।
माना सबकी बातें सुनकर आज रिश्ते निभा रहे हूं मैं,
पर आप रास्ता ना दिखा सको,
मैं इतनी भी बड़ी नहीं हुई मां।
— नेहा त्रिपाठी