सामाजिक

मानसिक स्वास्थ्य सर्वोपरि

पृथ्वी पर बुद्धि क्षमता में सर्वश्रेष्ठ मानव योनि को माना गया है, ऐसा हम पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिक प्रवचनों, बड़े बुजुर्गों से वार्तालाप में हम सुनते आ रहे हैं। अगर हम प्रैक्टिकल वे में इसे महसूस करें तो अक्षरतःअक्षर यह पूर्ण सत्य है।
आदिकाल से हम सुनते आ रहे हैं कि सर्वश्रेष्ठ प्रजाति मानव गर्भ से कुछ सीख़ कर नहीं आता प्राणी जन्म के बाद से ही सभ कुछ सीख़ता है और अलग-अलग रूप में अपनी आजीविका चलाता है।जीवन में गरीबी अमीरी सुख-दुख इत्यादि के चक्र में आता है।
बात अगर हम मानव के दुनिया में जीवन यापन की करें तो यह 100 फ़ीसदी सत्य बात है कि यदि मानव में उपरोक्त तीनों प्रमुख मंत्र विद्या, ज्ञान और कौशलता या इनमें से कोई भी एक मंत्र निहित है तो वह मानव अपनी आजीविका, जीवन को प्रगति कर सफलताओं को पाने में कभी पीछे नहीं रहेगा।
बात अगर हम इन उपरोक्त तीन मंत्रों की करें तो दिमाग में सीधा नाम शैक्षणिकता का आता है और शिक्षा प्राप्त करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात मानसिक स्वास्थ्य सर्वोपरि से हम इनकार नहीं कर सकते और तीनों मंत्र प्राप्त करने के लिए हम प्री प्ले नर्सरी स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक शिक्षण संस्थाओं के माध्यम से विद्या, ज्ञान और कौशलता हासिल करते हैं। मेरा मानना है कि यह तीनों मंत्र हर मानव के लिए एक ब्रह्मास्त्र की शक्ति रखते हैं, क्योंकि इनके बल पर हम किसी भी परिस्थितियों में अपनी आजीविका और जीवन की प्रगति को के पथ पर चलने में ज़रूर सफल होंगे ऐसा हमें विश्वास है।
बात अगर हम लक या किस्मत की करें तो भारत एक अति आध्यात्मिकता पालक देश है। जहां कुछ अपवादों को छोड़कर, नागरिकों का आध्यात्मिकता में अति विश्वास हैं और हम भाग्य को भी नकार नहीं सकते, यानें गॉड गिफ्टेड ज्ञान को भी नकार नहीं सकते। और कहते हैं ना कि, अगर किस्मत ही ख़राब हो तो क्या करें? परंतु मेरा निजी मानना है कि उपरोक्त तीनों मंत्रों के आगे किस्मत को भी पसीज़ना पड़ता है और मानव की हिम्मत जज़बा और जांबाज़ी की जीत होती है! हालांकि बड़े बुजुर्गों का कहना है कि भगवान भूखा उठाता है, परंतु किसी को भूखा सुलाता नहीं, यह बात भी हम सच मानते हैं, परंतु यह भी सच्चाई है कि मानव को जीवन में एक सफ़ल जिंदगी जीकर अपनी अगली पीढ़ियों के लिए रास्ता बनाने के लिए विद्या, ज्ञान और कौशल रुपी तीनों मंत्रों को ग्रहण करना आवश्यक है।बात अगर हम इन तीनों मंत्रों की संलग्नता आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए करें तो यह बिल्कुल सटीक, सत्य मंत्र साबित होंगे। क्योंकि यही वह तीनों सशक्त और धारदार अस्त्र हैं जो मानव को प्रगति की ओर आसान रास्ता बनाने में मदद करते हैं। जिसमें उनके साथ उस व्यक्ति का गांव, शहर, जिला, राज्य और देश भी तीव्रता से उन्नति प्राप्त करता है। इन तीनों मंत्रों को हमारी नई शिक्षा प्रणाली 2020 में भी शामिल किया गया है।
बात अगर हम भारतीय पीएम की आकांक्षाओं आत्मनिर्भर भारत, 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था, 2047 का भारत विज़न की करें तो अगर हम भारतीय नागरिकों ने उपरोक्त तीनों मंत्र ग्रहण कर लिए तो वह दिन दूर नहीं होगा जब हम इससे कहीं अधिक बढ़-चढ़कर वैश्विक सफलताओं के झंडे भारत विज़न 2047 के पूर्व ही गाड़ देंगे और हम वैश्विक महाशक्ति उभर कर सामने होंगे।
बात अगर हम कुछ समय पूर्व माननीय पीएम के वर्चुअल संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार,उन्होंने भी कहा कि,हमारे यहाँ कहा जाता है-सत् विद्या यदि का चिन्ता, वराकोदर पूरणे। भावार्थ जिसके पास विद्या है, ज्ञान और कौशल है उसे अपनी आजीविका के लिए, जीवन की प्रगति के लिए चिन्ता नहीं करनी पड़ती। सक्षम व्यक्ति अपनी प्रगति के लिए खुद ही रास्ते बनाता है। मुझे खुशी है कि सरदारधाम ट्रस्ट द्वारा शिक्षा और कौशल पर बहुत जोर दिया जा रहा है। 21वीं सदी में भारत के पास अवसरों की कमी नहीं है। हमें खुद को ग्लोबल लीडर रूप में देखना है, अपना सर्वश्रेष्ठ देना है और सर्वश्रेष्ठ करना भी है।पूरा भरोसा है कि देश की प्रगति में गुजरात का जो योगदान रहा है, उसे हम अब और सशक्त रूप में सामने लाएँगे। हमारे प्रयास न केवल हमारे समाज को नई ऊंचाई देंगे, बल्कि देश को भी विकास की बुलंदी पर लेकर जाएंगे। उन्होंने कहा हमारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का भी इस बात पर विशेष फोकस है कि हमारी शिक्षा, कौशल बढ़ाने वाली होनी चाहिए। भविष्य में मार्केट में कैसी स्किल की डिमांड होगी, फ्यूचर वर्ल्ड में लीड करने के लिए हमारे युवाओं को क्या कुछ चाहिए होगा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति स्टूडेंट्स को शुरुआत से ही इन ग्लोबल रियलिटीस के लिए तैयार करेगी आज स्किल इंडिया मिशन भी देश की बड़ी प्राथमिकता है। इस मिशन के तहत लाखों युवाओं को अलग अलग कौशल सीखने का अवसर मिला है, वो आत्मनिर्भर बन रहे हैं। नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रोमोशन स्कीम  के तहत युवाओं को पढ़ाई के साथ साथ कौशल विकास का अवसर भी मिल रहा है, और उनकी आमदनी भी हो रही है।
अतः अगर हम उपरोक्तत पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मानसिक स्वास्थ्य सर्वोपरि, विद्या, ज्ञान और कौशलता मानवीय आजीविका चलाने के वास्तव में मूल मंत्र हैं। क्योंकि जीवन की प्रगति और आत्मनिर्भर भारत बनाने में यह महत्वपूर्ण रोल अदा कर सकते हैं और इनका महत्वपूर्ण योगदान होगा। क्योंकि पृथ्वी पर बुद्धि क्षमता में सर्वश्रेष्ठ मानव योनि है और उसमें यह तीनों मंत्रों से परिपूर्ण मानव को अपनी आजीविका चलाने, जीवन को प्रगति में ढालने के लिए चिंता नहीं होगी साथ ही आत्मनिर्भर भारत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान होगा।
— किशन सनमुखदास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया