कविता

इस दुनिया में पूर्ण न कोई

अपना दोष तुम लाख छुपाओ,
वो छुप नहीं कभी सकता है।
अच्छाई और बुराई में अंतर,
हमेशा स्वतः प्रकट हो जाता है।

कोयला को हीरा कहने से,
वह हीरा कभी न होता है।
हीरा अपना चमक दिखाकर,
खुद अपना परिचय देता है।

इस दुनिया में पूर्ण न कोई,
अनजाने भी गलती होती है।
महान वही जो गलती मानकर,
फिर आगे न उसे दुहराता है।

अनजाने जो कभी गलती होती,
वह मानो बस एक भूल ही है।
जानबूझकर जो गलती करता,
वह बहुतबड़ा एक अपराधी है।

पीतल को तुम लाख तराशो,
वह सोना नहीं हो सकता है।
आग पर जरा चढ़ा कर देखो,
तुरंत फर्क नजर आ जाता है।

महान तो बस वही होते हैं,
जो अपना भी दोष बताते हैं।
हृदय तराजु तौल कर जो,
हर निर्णय को लिया करते हैं।

इधर-उधर की बातें करने से,
कभी झूठ नहीं छुप सकता है।
अपना दोष तुम लाख छुपाओ,
वो छुप नहीं कभी सकता है।

अमरेन्द्र
पचरुखिया,फतुहा,पटना,बिहार।
(स्वरचित एवं मौलिक)

अमरेन्द्र कुमार

पता:-पचरुखिया, फतुहा, पटना, बिहार मो. :-9263582278