भारत जोड़ो यात्रा?
फीता बांधो या मास्क सखा,
ये पब्लिक है सब जानती है।
गोबध वाले के संग चला,
उसको दुनिया पहचानती है।
ड्रामेबाजी कितनी कर लो,
मंदिर -मंदिर जीभर घूमो।
है कौन हितैषी भारत का,
जनता खुलकर अब मानती है।
प्रभु मंदिर किसने रोका था,
सारी ताकत को झोका था,
वह मानसरोवर का दर्शन,
बाबा से भी इक धोखा था।
पाकिस्तानी भाषा बोलो,
हे जिनपिंग जी के तलबगार,
जितने भारत के खल द्रोही
उन पर ही आता बहुत प्यार।
किसको बोले थे आप चोर?
किस पर इल्ज़ाम लगाए थे?
आतंकी के मरने पर भी,
किस-किसने अश्क बहाए थे?
जो देवी मां पर घात करे,
उनके वोटों के सौदाई,
तुमको जनेउ धारण करते,
क्या बिल्कुल शरम नहीं आई?
भारत तोड़े थे नाना जी,
तुम सनातनी का दिल तोड़े,
मम्मी से कह दो सर्वप्रथम,
वह वंशवाद की जिद छोड़े।
अपने बचपन को छोड़ोगे?
या हर दिल को झंझोड़ोगे?
जब भारत टूटा नहीं सखा,
तो भारत को क्या जोड़ोगे?
जिस दिन हिंदुस्तानी संस्कृति,
सच्चे दिल से अपनाओगे।
लिखकर रख लो पप्पू भइया
तब ही तुम कुछ बन पाओगे।
— सुरेश मिश्र