पूरक है एक दूजे के
हम और तुम दोनों
सदा पूरक है एक दूजे के,
कभी तुम सहारा बनते
कभी मै प्रेम बन मुस्काती,
है दूरी मीलो कि हममें
पर एहसासों में शुन्य पाती,
कभी यादों में पास होते
कभी होठों पर मुस्काते,
कभी सुनहरी धूप बनकर
शरद की गुनगुनाहट बनते,
कभी मै ताप सोख कर
पुरवा बयार बन आती,
कभी ओस की बूंदों में
अक्स तुम्हारा दिख जाता,
और कभी सपनों में
मैं साथ हो आती ,
कभी तुम बन जाते हो
मेरे मन की ताकत,
और कभी बन जाती
मैं तुम्हारा साहस,
— रेखा शाह आरबी