मिट्टी के दिये जरूर जलाना
मिट्टी के दीये जरूर जलाना
इसी दीये से घर को सजाना
और सारे घर को खूब दमकाना
इसी से घर-आँगन चमकाना।
बाजार में दीये बहुत दिखेंगे
विदेशी दिए भी खूब बिकेंगे
वहॉं पर दीये मन को मोहेंगे
पर मिट्टी के ही दीये खरीदेंगे।
ये मिट्टी के दीये जब जलेंगे
भीनी खुशबू से खूब महकेंगे
प्रकाश मन को ये खूब करेंगे
और मिट्टी से हम सब जुड़ेंगे।
दीये में किसी की आशा है
दीये मे किसी को प्रत्याशा है
इसके बिकने की पिपासा है
क्योकि उसे भी तो दिवाली-
मनाने की मन मे अभिलाषा है।
सबके घर में रोशनी होगी
बच्चों की किलकारी होगी
खुशियों की फुलवारी होगी
ये दिवाली बड़ी प्यारी होगी।
— अशोक पटेल “आशु”