अपने घर भी है दीवाली
हाथ मेरा है आज खाली खाली
अपने घर भी है पर्व दीवाली
ले जा बाबु मिट्टी का ये दीपक
घर चमकेगा जगमग जगमग
बड़ी मिहनत से ये दीप बनाया
भूखा प्यासा है ये चाक चलाया
तब कहीं बन पाई है ये दीपक
ले जा बाबु तेरा घर हो जगमग
खून पसीने की महक है दिखाई
परिजन संग मिल इसे बनाई
सूना सूना ना दिखे घर आँगन
ले जा बाबु घर हो तेरा पावन
बड़ी आशा से बाजार सजाई
मुँह ना चिढ़ाये आशा की कमाई
पावन मोहक त्यौहार है आली
सब के घर हो जगमग दीवाली
बड़ी जतन से दीप बनाया
लाल रंग का लेप लगाया
तारो सा जगमग हो भाई
सब के घर लक्ष्मी जी आई
— उदय किशोर साह