लघुकथा

लघुकथा – उपाय

एक गाँधीवादी अपने घर पर पत्नी के साथ अकेला था और सोने की तैयारी कर रहा था। तभी एक आतंकवादी उसके घर में घुस आया और उसकी पत्नी के साथ छेड़छाड़ करने लगा। उसकी पत्नी डरकर पति की ओर देखने लगी कि मुझे बचाने के लिए यह कुछ करेगा।
गाँधीवादी उस आतंकवादी के पास आया और हाथ जोड़कर बोला- “कृपया मेरी पत्नी को छोड़ दो।”
यह सुनते ही आतंकवादी ने उसके एक गाल पर ज़ोर का तमाचा मार दिया। इस पर गाँधीवादी ने अपना दूसरा गाल भी उसकी ओर कर दिया और पत्नी को छोड़ने का फिर निवेदन किया। इस पर आतंकवादी ने उसके दूसरे हाल पर और ज़ोर का तमाचा जड़ दिया और उसकी पत्नी से बलात्कार करने के लिए तैयार होने लगा।
अपने दोनों गालों पर तमाचे खाकर गाँधीवादी का गाँधीवाद हवा में उड़ गया। उसने अपने आस-पास देखा, तो उसे लोहे का एक मूसल दिखाई दिया। उसने चुपचाप मूसल उठाया और पूरी ताक़त से बलात्कारी के सिर पर पीछे से दे मारा। इस प्रहार से बलात्कारी का सिर फट गया और वह चीख मारते हुए बेहोश हो गया।
गाँधीवादी समझ चुका था कि आतंकवादियों और बलात्कारियों को रोकने का यही सही उपाय है, क्योंकि जो मूसल से ही मानते हैं वे बातों से कभी नहीं मान सकते।
— डॉ. विजय कुमार सिंघल

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: [email protected], प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- [email protected], [email protected]