कविता

दीपावली

जगमग जगमग दीप जल जाने दो
प्रकाश पुँज धरा पर आ जाने दो
जग में बहुत अंधियारा छाया  है
जग से तिमिर को भग जाने  दो

सज गई है दीयों की यहाँ  लम्बी कतार
मिट्टी के दीपक में लिये अपार असार
जग को अब प्रकाशित हो जाने  दो
जग से तिमिर को भग जाने  दो

अज्ञानी चला रहा है गलत  सहचार
ज्ञान की अवरूद्ध हो गई बहार
जग में ज्ञान की दीपक जल जाने दो
जग से तिमिर को भग जाने  दो

मूरख बैठा है ज्ञान की आसन पर
हॅसी आती है उनके  फितरत पर
इनकी दुकान अब बन्द हो जाने दो
जग से तिमिर को भग  जाने दो

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088