कविता

आओ दीपोत्सव मनाएं

आओ दीपोत्सव मनाएं,
मिलजुल खुश हो झूमें-गाएं,
देश की खुशहाली की खातिर,
माटी के हम दीये जलाएं.

एक दीप हो प्रेम-प्यार का,
स्नेह का और सुसंस्कार का,
“वसुधैव कुटुम्बकम” याद करें हम,
दीप हो बंधुत्व और सत्कार का.

आतिशबाजी नहीं जलाएं,
पर्यावरण को प्रदूषण से बचाएं,
इनसे बहुत-से रोग लगेंगे,
इनकी कालिख से सब को बचाएं.

घर की साफ-सफाई कर लें,
मन को भी हम शुद्ध बना लें,
कुछ को क्षमा दे हल्के हो लें
और किसी को क्षमा-दान दें.

दीप बुझे ना किसी की आस का,
ऐसा यत्न हमें करना है,
भरे हुओं का भरा तो क्या है!
खाली झोली को भरना है.

भ्रष्टाचार पनपने न पाए,
ऐसा यत्न हमें करना है,
सबसे पहले अपनी झोली,
सदाचार से नित भरना है.

यह ही सच्चा दीपोत्सव है,
आओ दीपोत्सव मनाएं,
स्नेह-प्यार दें हम छोटों को
और बड़ों से आशिष पाएं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244