हिंद का बेटा या दामाद
जिसने सांसद पद की शपथ गीता पर हाथ रख ली तब से भारतीयों के मन में बसे रिशी सुनक खुद को ब्रिटन के वासी किंतु हिंदू धर्म में आस्था रखने वाला बताते हैं। जो मंदिरों में जाता हैं और दिवाली के दियें भी जलाते हैं।उनकी पत्नी अक्षिता और उनकी संपत्ति राजघराने से भी अधिक हैं ऐसा कहा जा रहा हैं।
रिशी सुनक के दादा दादी पंजाब से 1940 आसपास अफ्रीका में स्थाई हुए थे। उनके पिता यशवीर सुनक का जन्म केन्या में हुआ था,और माता उषा का जन्म तंजानिया में हुआ था।दोनों के परिवार ब्रिटन में स्थाई हुए थे,बाद में उषा और यशवीर की शादी हुई थी। 1980 में रिशी सुनक का जन्म हुआ था। एक बड़ी फर्म में एनालिस्ट का कार्य कर रहे रिशी ने अर्थशास्त्र, फिलोसोफी और राज्यशास्त्र का अभ्यास किया हैं। सुधा मूर्ति और नारायण मूर्ति की बेटी अक्षिता से उनके यूएसए की स्टेनफर्ड यूनिवर्सिटी में अभ्यास के दौरान प्रेम हुआ था ,जो विवाह में 2009 परिणित हुआ था।
2012 से राजनीति में पदार्पण किया था कुछ आठ सालों के भीतर ही सांसद में से प्रधानमंत्री बन गए हैं। 2015 में अपनी पार्टी के टिकिट पर रिचमंड से सांसद बने। यूरोपियन संघ में से निकलने की जुंबिश में उनका भी सहयोग था जिससे उनकी प्रतिष्ठा में उजाफा हुआ हैं। 2018 में थेरेसा मे की सरकार में वे तीसरे नंबर के ताकतवर मंत्री थे। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की सरकार में फाइनेंस मिनिस्टर बने।अप्रैल में 2020 में करोनाकाल दरम्यान लोकडाउन दरम्यान उन्होंने जो राहत बजेट बनाया था उससे उनकी काबिलियत की सराहना हुई थी, उनकी लोकप्रियता में इजाफा हुआ था। 2022 में कुछ नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगे तब आवाज उठाकर कंजरवेटिव पार्टी के चांसलर पद से इस्तीफा दे दिया था।प्रधानमंत्री की रेस में जुलाई 22 से थे, 137 मतों से आगे हो प्रचलित हुए थे। लिज़ ट्रस के साथ रेस में कंजरवेटिव पार्टी ने लिज़ ट्रस को चयनित कर उन्हे प्रधानमंत्री बनाया था। कुछ ही महीनों में अर्थिकनीति के मोर्चे पर नाकामयाब होने की वजह से कुर्सी छोड़नी पड़ी।और रिशी सुनक बिनहरिफ चुने गए। बोरिस जॉनसन और पेन्नी मोर्डेंट ने नामांकन वापिस लेने से और प्रीति पटेल और दूसरे नेताओं के समर्थन से बिनहरिफ चुने गए।
अपने देश में अब सभी की उम्मीद हैं कि ब्रिटन के साथ अपने रिश्ते अब सही रहा करेंगे क्योंकि अपने देश का बेटा या कहो दामाद अब सर्वोच्च स्थान पर बैठा है, तो उनका नजरिया अपने देश के लिए सही रहें। वैसे यूएसए के चुनावों में कमला हैरिस से भी काफी अपेक्षाएं रखी गईं थी जिसका आजतक कोई भी परिणाम नहीं दिख रहा है। देखें दामाद जी कितना रिश्ता रखते हैं।
— जयश्री बिरमी
बहुत अच्छा लिखा है। मुझे तो ऋषि सुनक से कोई आशा नहीं है। वे वहाँ के हिन्दुओं को ही सुरक्षा दे सकें तो बहुत होगा।