ग़ज़ल
जिसके मन में करुणा अंतस में ईमान नहीं
इंसां का है जिस्म भले ही पर इंसान नहीं
उसको हो सकता हासिल सम्मान नहीं बंसल
मन से जो औरों का कर सकता सम्मान नहीं
आज नही तो कल हर हालत में पछताएगा
जिसको अपने और पराए की पहचान नहीं
लोग वही औरों को कहते अज्ञानी अक्सर
जिनको ज्ञान किसे कहते हैं ये भी ज्ञान नहीं
सोच समझ कर अनदेखी कर देता हूँ वरना
ठीक ग़लत मालूम न हो इतना नादान नहीं
बंसल सोच समझना पहले फ़िर निर्णय करना
सच के रस्ते पर चलना इतना आसान नहीं
— सतीश बंसल