कविता – तेरी अदा
तेरी बिन्दिया यूँ चमकाये
तेरी कंगना गीत सुनाये
तेरी गजरा घर महकाये
मेरी होश हवास खो जाये
तेरी आँचल जब लहराये
नभ में बदरा सा छा जाये
मदमस्त चाल यूँ बलखाये
नागिन भी तब शरमा जाये
तेरी जुल्फ जब जब लहराये
काली घटा नभ पे आ जाये
तेरी बदन की खुशबू जब आये
गुलशन देख तुम्हें मुरझाये
तेरी ओठ जब भी मुस्कुराये
बिजली कौंध कौंध तड़पाये
तेरी शोख अदा यूँ भाये
हर शय धरा पे फीकी हो जाये
नैना तेरी धार कटारी
दिल घायल हो जाये हमारी
तुँ दिल को बार बार धड़काये
तेरी पायल फिर हमको समझाये
— उदय किशोर साह