ग़ज़ल
कशमोकश मे उलझी मेरी जवानी है
लोग कहते वीणा कलम कि दीवानी है।।
हालाते मंज़रों ने जज़्बात लिखना सिखाया है
लिखे जब कभी वीणा आंसूओं कि निशानी है।।
दर्द-ए दास्तां लिख-लिख कर सुनाऊं किसको
लिखूं जो दर्द-ए दास्तां दर्द-ए हवा कि रवानी है।।
देखो यादों के मंज़र मुझको तोड़ते अकसर
खुद को लिख जोड़ समझाऊं , यही कि नादानी है।।
ना सोचो तुम ये वीणा गम़ से हार मर गई
ये देखो वीणा के कलम कि दुनिया दीवानी है।।
कशमोकश मे उलझी मेरी जवानी है
लोग कहते वीणा कलम कि दीवानी है।।
— वीना आडवाणी तन्वी