गज़ल
प्रेम सद्भाव की बात करें
एक दूजे पर ना घात करें
रिश्तो में छलके कोमलता
इस तरह से मुलाकात करें
ना तरसे अब कोई भी घर
वहाँ सावन सी बरसात करें
न हो देश का नुकसान कभी
ऐसी ना खुराफात करें
हिंदुस्तानी बनकर रहे
इसमें पैदा ना जात करें
— रमेश मनोहरा