कविता

मार्मिक कविता – मैं बहुत रोता हूं

जब मैं माता-पिता छोटी बहन का
खालीपन महसूस करता हूं
मुझे रात भर नींद नहीं आती
फिर मैं बहुत रोता हूं
छोटी बहन से मस्ती के पल
माता-पिता द्वारा मिला हिम्मत का फल
एकांत में जब बहुत याद आता है
फिर मैं बहुत रोता हूं
पिता के संगीत में रुचि के पल
माता के भागवत गीता पढ़ने के पल
छोटी बहन की चहल पहल याद आती है
फिर मैं बहुत रोता हूं
रचनाएं गीत लेख जब लिखता हूं
माता-पिता छोटी बहन की याद करता हूं
बड़े बुजुर्गों का उल्लेख रचनाओं में करता हूं
फिर मैं बहुत रोता हूं
माता-पिता की विचारधारा के साथ जीता हूं
छोटी बहन का प्यार पाने तरसता हूं
जिंदगी को बस जीकर ढोता हूं
फिर मैं बहुत रोता हूं
मेरे जीवन की सच्चाई शब्दों में पिरोता हूं
माता-पिता छोटी बहन बिना निराशा में हूं
तीनों के ऊपर लिखे रचना शब्दों को जब पढ़ता हूं
फिर मैं बहुत रोता हूं
— किशन सनमुख़दास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया