मैं और तुम का … कुछ नया सा इश्क़ …..!!
सुनो
मैंने पढ़ा है
अमृता प्रीतम के इश्क़ को
लेकिन
मुझे इश्क़ बन
इश्क़ से इश्क़ करना
कि जैसे हो तुम
जैसे ही हम
मिल जाए
हमेशा के लिए
मैं और तुम…..
ये समझा
उन्हें पढ़कर कि
समुन्दर से आसमां
कभी नहीं मिलता
फिर भी बादलो में
सिम्त जाता है इश्क़
कि बरसेंगे कभी तो
ये तुम पर भी
इश्क़ , इश्क़ ये ही इश्क़
वो कहती है ना …..
कि मैं मिलूंगी तुमसे
लेकिन पता नहीं कब ………………
लेकिन फिर भी
मैं कहती हूँ
रिमझिम बारिश सा
ये मेरा इश्क़ ..
हल्की -हल्की
बौछारे तुम पर
सादगी में भीग रहा
वो मेरा सादा इश्क़
रूह से निखरा
तुम में बहका
हर मोड़ पर मिलेगा तुमसे
मैं और तुम का इश्क़
अंदाज़ वही पुराना
लेकिन मैं और तुम का …
कुछ नया सा इश्क़ …..!!
#मेरी रुह@
#नंदिता @