सामाजिक

7 नवंबर: राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी और संघर्षपूर्ण जीवन में शायद ही कोई मनुष्य ऐसा होगा जिसे किसी बात का तनाव ना हो। यह बात हर एक के संदर्भ में छोटी या बड़ी हो सकती है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो चिंता और तनाव हमारे जीवन का एक हिस्सा ही बन गए हैं, जिन से लंबे समय तक बच पाना हम में से किसी के लिए भी शायद संभव नहीं है। मनुष्य के शरीर के भीतर क्या कुछ घटित हो रहा होता है,एक सामान्य इंसान को इसकी बहुत जल्द जानकारी नहीं होती है।किसी दिक्कत या परेशानी होने की अवस्था में ही हम सभी चिकित्सक के पास जाते हैं और जरूरत पड़ने पर आवश्यक टेस्ट भी करवाते हैं। उसके बाद ही हमें मालूम पड़ता है कि वास्तविकता में हमारे शरीर के किस हिस्से में क्या समस्या है और समस्या का पता चलने पर हम तुरंत उसके उपचार में लग जाते हैं।
 परंतु कभी-कभी ऐसा भी होता है कि हमें अपने शरीर के अंदर होने वाली समस्याओं का काफी देरी से पता चलता है ।हमें एहसास ही नहीं होता कि हमें कोई समस्या है भी और जब तक हमें उस समस्या के बारे में आभास होना शुरू होता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।अक्सर आप सभी ने अपने जीवन में कभी न कभी डॉक्टर्स को यह कहते अवश्य सुना होगा कि अगर आप कुछ समय पहले आए होते तो आपकी यह समस्या इतनी गंभीर रूप नहीं लेती और तब समय पर इसका इलाज भी किया जा सकता था ,परंतु अब बहुत देर हो चुकी है और अब आपके पास समय बहुत कम है, आप तुरंत अपना उपचार शुरू कीजिए ताकि आपको अमुक समस्या से होने वाली पीड़ा और दर्द को कम से कम सहन करना पड़े।
कुछ साल पहले तक जिन बीमारियों के नाम तक हम कभी कभार सुनते थे,वे बीमारियां आजकल के तनाव ग्रस्त जीवन के चलते या यूं कहें हमारे लापरवाही पूर्ण रवैये की वजह से बहुत ही सामान्य हो गई हैं और समाज के अधिकतर लोग उन बीमारियों की चपेट में बहुत शीघ्रता से आने लगे हैं। वजह चाहे जो भी हो परंतु समय पर निदान और इलाज ना मिल पाने के कारण समस्या बढ़ जाती हैं और तीर कमान से निकलने के बाद वापस नहीं आता अर्थात उस बीमारी के सामने हम स्वयं को अक्सर असहाय महसूस करते हैं और अपने घुटने टेक देते हैं,जो कि सही नहीं है,क्योंकि
*गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में*
 *वो तिफ़्ल क्या गिरेगा जो घुटनों के बल चले*
अर्थात किसी भी समस्या के आगे घुटने टेकने से पहले प्रयास करना अति आवश्यक है। अपना शत प्रतिशत देने के बाद ही हम खुद को यह कह कर ही कि हमारे प्रयासों में कोई कमी नहीं थी फिर भी हमें सफलता नहीं मिली, संतुष्टि दे सकते हैं।
इसी प्रकार की गंभीर बीमारियों में से एक कैंसर भी है जिसका नाम आजकल छोटे से छोटे बच्चे को भी मालूम है क्योंकि अमूमन देखा गया है कि कैंसर से पीड़ित लोगों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और अधिकतर घरों में किसी ना किसी एक सदस्य को यह बीमारी है ही,जिसके चलते घर के हर छोटे-बड़े सदस्य को इस बीमारी के बारे में जानकारी है। परंतु यह जानकारी किस स्तर की है यह कह पाना मुश्किल होगा क्योंकि आज के आधुनिक युग में भी कैंसर जैसी बीमारियों के प्रति लोगों में अंधविश्वास है मिथक हैं और गलत धारणाएं हैं जिसके चलते यह बीमारी गंभीर रूप धारण कर लेती है और मरीज का समय पर इलाज नहीं हो पाता तथा जिसके घातक परिणाम भी सामने आते हैं। परंतु कहा गया है ना कि
 *फिर पछताए क्या होत जब चिड़िया चुग गई खेत।*
जी हां दोस्तों,कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों को अक्सर लोग मजाक में लेते हैं और कई बार जानकारी के या यूं कहें सही जानकारी के अभाव में समय पर इलाज नहीं करवा पाते और उस स्थिति में कैंसर पूरे शरीर में अपना कब्जा कर लेता है जिसके पश्चात उसका इलाज कर पाना डॉक्टर्स के लिए लगभग नामुमकिन सा हो जाता है और कैंसर के मरीज को अपने जीवन की आहुति देनी पड़ती है।
विश्व भर में कैंसर से होने वाली मौतों का यदि विश्लेषण किया जाए तो उनमें से अधिकतर केस वह सामने आते हैं जिनमें मरीजों और उनके परिवारों को कैंसर से संबंधित अधकचरा ज्ञान था अथवा ज्ञान था ही नहीं। कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो किसी भी आयु या वर्ग के लोगों को अपनी चपेट में ले सकती है। कैंसर कई प्रकार का हो सकता है ,जैसे ,फेफड़ों का कैंसर, आंत का कैंसर, मुंह का कैंसर, गले का कैंसर, लीवर का कैंसर, प्रोस्टेट का कैंसर ,ब्रेस्ट कैंसर,यूटरस कैंसर, सर्विकल कैंसर आदि। इनमें से कुछ कैंसर तो ऐसे हैं जिनके बारे में शुरुआती समय में मरीज को पता ही नहीं चल पाता है क्योंकि कुछ प्रकार के कैंसर ऐसे होते हैं जिनमें लक्षण काफी लंबे समय बाद दिखाई देने शुरू होते हैं और जिस के निदान के पश्चात ही डॉक्टर्स उस कैंसर की स्टेज के बारे में मरीज और उसके परिजनों को जानकारी देते हैं।
इन सब कारणों को देखते हुए ही प्रतिवर्ष 4 फरवरी को जहां पूरे विश्व में वर्ल्ड कैंसर डे मनाया जाता है जिसका उद्देश्य समुदाय के लोगों में कैंसर बीमारी के प्रति जागरूकता पैदा करना और उसके इलाज हेतु प्रेरित करना है ताकि असमय होने वाली मौतों के आंकड़ों में कमी आए।प्रत्येक वर्ष 4 फरवरी को यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (यूआईसीसी) के नेतृत्व में मनाया जाने वाला विश्व कैंसर दिवस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है ताकि विश्व भर के लोगों को कैंसर जैसी बीमारी के बारे में सही जानकारी प्राप्त हो सके और इसकी रोकथाम और उपचार हेतु लोगों के ज्ञान में वृद्धि हो सके,वहीं भारत में राष्ट्रीय स्तर पर कैंसर अवेयरनेस डे के रूप में यह दिवस प्रतिवर्ष 7 नवंबर को मनाया जाता है।
तो दोस्तों,आज 7 नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर अवेयरनेस डे के इस अवसर पर क्यों न हम सब सामूहिक रूप से यह संकल्प लें कि आज से,बल्कि अभी से हम कैंसर और इसके जैसी अन्य अनेक खतरनाक बीमारियों के विषय में सही सटीक और पूरी जानकारी पूरे विश्व में फैलाएंगे और उनकी रोकथाम के लिए भरसक प्रयत्न भी करेंगे तथा निदान होने पर मरीज के उपचार के लिए भी आगे आएंगे।दोस्तों ,आपकी , हम सबकी इस छोटी सी पहल से पूरे समाज को कैंसर जैसी घातक बीमारियों से काफी हद तक बचाया जा सकता है और एक स्वस्थ समाज की,एक स्वस्थ राष्ट्र की,एक स्वस्थ समृद्ध विश्व की कल्पना को मिलकर साकार किया जा सकता है क्योंकि
*जागरूक होगा जब विश्व हमारा*
*तब ही स्वस्थ रहेगा यह विश्व हमारा*
— पिंकी सिंघल

पिंकी सिंघल

अध्यापिका शालीमार बाग दिल्ली