गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

जो हमें घुट घुट के मरने के बहाने दे गया है
फूल आके वो चिता पर कुछ सजाने दे गया
कत्ल मेरा कर दिया पर अब सजा से डर रहा है
इस लिए मेरे ही घर चाकू छिपाने दे गया है
वो नये कुछ जख्म देके दे गया खुद ही दवाई
और फिर रूमाल आंसू को सुखाने दे गया है
वो दुआओं के सितारे दे रहा है झोलियां भर
और कोई दिल दुखा के घाव,ताने दे गया है
एक वो है जो जले अंगार पर जल डालता है
और ये बुझती मशालों को जलाने दे गया है
साजिशे किसने रची मंझधार में हम डूब जाये
कोन था, पतवार जो हमको बचाने दे गया है
देख कर टूटा हुआ,बिखरा हुआ सब लूटते हैं
वो हमारा ही हमें जिन्दा दबाने दे गया है
— शालिनी शर्मा

शालिनी शर्मा

पिता का नाम-स्वर्गीय मथुरा प्रसाद दीक्षित माता का नाम -श्रीमती ममता दीक्षित पति का नाम-श्री अनिल कुमार शर्मा वर्तमान स्थायी पता- केऐ-16 कर्पूरी पुरम गाजियाबाद फोन न0- 9871631138 जन्म एंव जन्म स्थान-09.04.1969, परीक्षित गढ़ गाजियाबाद उप्र शिक्षा एवं व्यवसाय-बीएससी बीएड़,अध्यापिका व सहायक NCC आफिसर (13 यूपी गर्ल्स बटालियन) प्रकाशित रचनाएं एवं विवरण-अमर उजाला काव्य में 48 रचनायें प्रकाशित, विभिन्न पत्रिकाओं में रोज रजनाएं प्रकाशित होती हैं,दो तीन सम्मान प्राप्त