कविता – चलो, कुछ अच्छा करते हैं
चलो, कुछ अच्छा करते हैं
बचपन छोड़ चुके
इस मन को बच्चा करते हैं
चलो,,कुछ अच्छा करते हैं.
कभी कभी मन करता
थोड़ी कर लूँ थोड़ी शैतानियां
कर लूँ कुछ हरकत बचकानियां
कभी कुछ दिख जाय,
जिसे मैं पा ना सकूं
मन में आती बेईमानियां
बेईमान हुए इस मन सच्चा करते हैं चलो,, कुछअच्छा करते हैं.
जब कभी आये जिंन्दगी में मुश्किलें
और जिंन्दगी हो जाय उदास
तो कुछ ऐसा करें खास
रखें खुद पर विश्वास,,
दूर करने मुश्किलों को
अपने हौसलें को पक्का
मुश्किलों के हौसले को कच्चा करते हैं
चलो, कुछ अच्छा करते हैं.
चलो, कुछ अच्छा करते हैं.
— अमृता राजेन्द्र प्रसाद