कविता

क्या लिखूँ!

क्या लिखूँ! कैसे शब्दों में पिरोंऊ,
जज्बात और ख्यालातों को I
गीत लिख दूं तो गाऊँ कैसे?
तान और मजीरा बजांऊ कैसे?
तन मन के भाव सजाऊँ कैसे?
क्या लिखूँ! कैसे शब्दों में पिरोंऊ,
अर्पण और समर्पण को,
गजल कहीं जो लिख दूं तो
सुर और ताल लगाऊं कैसे?
दर्द भरा जो दिल में है
गाकर राग सुनाऊँ कैसे?
क्या लिखूँ! कैसे शब्दों में पिरोंऊ,
 पूजा और प्रतिज्ञा को,
भजन कहीं जो लिख दूं तो,
मन्दिर की मूरत पाऊँ कैसे
पूजा थाली ले जांऊ कैसे?
भावों के पुष्प चढ़ांऊ कैसे?
क्या लिखूँ!  कैसे शब्दों में पिरोंऊ,
अनुरक्ति और विह्वलता को,
गर कोई कविता ही लिख दूँ,
मन की उलझन सुलझांऊ कैसे?
प्राणों से प्रिय बनांऊ कैसे?
किसी और रंग, रंग जांऊ कैसे?
क्या लिखूँ! कैसे शब्दों में पिरोंऊ?
— वन्दना श्रीवास्तव

वन्दना श्रीवास्तव

शिक्षिका व कवयित्री, जौनपुर-उत्तर प्रदेश M- 9161225525