गज़ल
हल्का-हल्का खुमार हो जैसे,
हर तरफ प्यार-प्यार हो जैसे,
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ओस यादों की ऐसे झरती है,
दिल मेरा हरसिंगार हो जैसे,
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हवाओं में नमी सी लगती है,
थोड़ी तू बेकरार हो जैसे,
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मुझमें शामिल हैं इस तरह से तू,
गुलशन में बहार हो जैसे,
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तेरी आवाज़ ऐसे लगती है,
कहीं बजता सितार हो जैसे,
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ऐसे दिखती है तू हज़ारों में,
राख में इक शरार हो जैसे,
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आभार सहित :- भरत मल्होत्रा।