गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

तुम हो नहीं मगर दिल, करता है इंतजार।
लहरा के तुमको आँचल, पुकारे बार-बार।
बस गई तस्वीर ऐसे, कल्ब -ओ- जिगर में,
के बंद आंखों से भी, होने लगा दीदार।
आती है जब हवाएं तेरे दर को चूम के,
खुशबू से महक जाते मेरे दर-ओ- दीवार।
कानों में गुनगुना के ये करती है गुफ्तगू
कहती है तेरी खातिर वो भी हैं बेकरार।
लहरा गई है बर्क सी तेरा हाल जान के,
तेरी बेकरारी पे ये दिल भी हुआ बेदार।
— पुष्पा अवस्थी “स्वाती”

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 [email protected] प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है