उर उजास बढ़ायें
बहुत हुआ आराम काम अब करना होगा।
सत्पथ पर चंचल चपल चरण धरना होगा।।
रहे न कोई भूखा प्यासा छाया हो सर पर।
सुजला सरिताएं शुभ धरा सुवासित अम्बर।
प्रमुदित उपवन कानन फल औषधि सुख बांटें,
धन-धान्य पूरित हों गेह, नेह उगे घर-घर।।
मानव मन की पीर, नीर बन हरना होगा।
गली, द्वार-घर समरसता के दीप सजायें।
दें प्रेम परिधि विस्तार ‘मलय’ मीत बनायें।
मानवता के पृष्ठ सुकोमल सब मिल बांचें,
कर अंधेरा दूर उर उजास प्रीत बढ़ायें।
श्रम समिधा से शुचि सृष्टि-भवन भरना होगा।।
बहुत हुआ आराम काम अब करना होगा।
— प्रमोद दीक्षित मलय