जिंदगी: चार काव्यमय पहलू
जिंदगी
जिंदगी को सलीके से जीना है,
तो मत रखो मन में मलाल,
बजने दो आनंद के बाजों को,
नाचो मिलाके सुर-से-सुर और ताल-से-ताल.
जिंदगी सुख-दुःख का मेला है,
मत समझो ये झमेला है,
समय के पहिए हैं ये इसके चलते रहेंगे,
जो न समझे वो रह जाता अकेला है.
अनेक रंग दिखाती है जिंदगी,
गिरकर उठना-संभलना सिखाती है जिंदगी,
सब अपने हैं गैर कोई नहीं,
जीने का ढंग सिखाती है जिंदगी.
ज़िंदगी एक पेंटिंग
ज़िंदगी एक पेंटिंग की मानिंद है,
आशा से इसकी रेखाएं खींचिए,
सहनशीलता से इसकी त्रुटियों को मिटाइए,
असीम धैर्य के रंग में इसके ब्रुश को डुबोइए,
और
प्रेम से इसमें प्रेम के रंग भरिए.
जिंदगी विश्वास का दूसरा नाम है,
विश्वास के अंकुर उगाना,
और उन्हें फलने-फूलने का अवसर देना,
इसका काम ललाम है.
बात से बात निकलती है,
दरिया की तरह बह चलती है,
झरने की तरह झर-झर झरती है,
इस तरह जिंदगी में जिंदादिली रहती है.