परवरिश का कमाल
साहित्यिक मंच “हिंदी साहित्य दर्पण” पर विजेता कविता
परवरिश का कमाल देखा,
दो जुड़वा भाइयों में से
एक चोर एक कोतवाल देखा.
परवरिश का कमाल देखा,
मुंहबोली बहन के सदके
जीवन देते वार देखा.
परवरिश का कमाल देखा,
अपनी सगी बहन की अस्मत को
करते तार-तार देखा.
परवरिश का कमाल देखा,
थोड़ा पास होते हुए भी
दिल का दिलदार देखा.
परवरिश का कमाल देखा,
धन का अंबार होते भी
मन का कंगाल देखा.
परवरिश का कमाल देखा,
जड़ों से जुड़े रहते भी
आसमान को छूते देखा.