कविता

परवरिश का कमाल

साहित्यिक मंच “हिंदी साहित्य दर्पण” पर विजेता कविता

परवरिश का कमाल देखा,
दो जुड़वा भाइयों में से
एक चोर एक कोतवाल देखा.
परवरिश का कमाल देखा,
मुंहबोली बहन के सदके
जीवन देते वार देखा.
परवरिश का कमाल देखा,
अपनी सगी बहन की अस्मत को
करते तार-तार देखा.
परवरिश का कमाल देखा,
थोड़ा पास होते हुए भी
दिल का दिलदार देखा.
परवरिश का कमाल देखा,
धन का अंबार होते भी
मन का कंगाल देखा.
परवरिश का कमाल देखा,
जड़ों से जुड़े रहते भी
आसमान को छूते देखा.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244