क्यों कलम
क्यों कलम , मुझे इतना आज़माती
क्यों कलम , मुझे जीना ना सीखाती।।
कलम मैं बनी तेरे हाथ की कठपुतली
जैसा चाहे , मुझे कलम वैसा नचाती।।
मेरे जज़्बात दिल पर जब दस्तक देते
कलम कान लगा , सुनके सब लिख जाती।।
कभी तो कलम मुझे मेरे हाल पर छोड़ो
मेरे हालत देख तुम तो शब्दों में सज़ाती।।
छुपाए छुपते नहीं मेरे ग़म , ये आंसूं
आंसू को स्याही कलम खुद में भर जाती।।
वीणा ना हारी थी , ना हारेगी सुन लो
क्यों कलम मुझे कमज़ोर तुम बनाती।।
— वीना आडवाणी तन्वी