यहां हर कोई चाहता है कि वह सबका प्रिय पात्र बना रहे, सभी उसकी बात माने। आपके मन में भी यह ख्याल आते होंगे कि इसमें कोई मुश्किल बात नहीं है जरूरत है तो बस शिष्टाचार के कुछ नियम को अपनाने की। यदि आप सबके सर्वप्रिय बनना चाहते हैं तो अपने व्यवहार को मृदुल बनाए। आप जब किसी पुराने दुकानदार के पास जाते हैं जिनसे आप हमेशा से राशन लेते आए हैं और वह दुकानदार आपसे कहे कि “आपको जो खरीदना है आदरणीया आप आराम से खरीद लीजिए और यदि आपको कोई चीज पसंद नहीं आ रही है तो आप हमारा फोन नंबर ले लीजिए फिर घर जाकर आप आराम से सोच कर हमें फोन कर दीजिएगा हम आप हो फ्री होम डिलीवरी भी दे देंगे और सारा सामान सुरक्षित आपके घर तक पहुंच जाएगा आप परेशान मत होइए”। जब दुकानदार का इस तरह का शिष्ट व्यवहार होता है तो मन को प्रभावित करता है और सोचने पर हम भी मजबूर हो जाते हैं कि आज भी अदब से पेश आने वाले लोग मौजूद हैं। उस दुकानदार के शिष्ट व्यवहार की वजह से ही उनकी दुकान पर हर समय ग्राहकों की भीड़ लगी रहती है। वैसे भी शिष्ट व्यवहार हमारी पर्सनैलिटी का एक खास हिस्सा होता है आप कितने भी पढ़े-लिखे क्यों ना हो! अगर आप में शिष्टाचार नहीं है तो सब बेकार होता है। व्यक्ति का तमीज से बात करना उसका एक महत्वपूर्ण व्यवहार होता है। आपके शिष्ट आचरण की शुरुआत सबसे पहले आप के परिवार से होती हैं यदि आप शिष्टाचार का ख्याल नहीं रख सकते तो बाहर वालों से क्या अपेक्षा करेंगे? और शिष्टाचार का घर के बाहर घर के अंदर सभी जगह महत्व होता है। चाहे सामने वाला छोटा हो या बड़ा! यदि आप में शिष्टाचार है तो आप निम्न श्रेणी के लोगों में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करेंगे।
यदि आप किसी का दिल नहीं दुखाते हैं किसी भी अवसर पर किसी के शारीरिक दोषों की चर्चा का विषय बनाकर उसका मजाक नहीं उड़ाते हैं तो आप शिष्टाचार ही हैं। अपने व्यवहार को मधुर बनाने की कोशिश करें आपका नम्र व्यवहार ही छोटे हो या बड़े सभी लोगों से स्नेह पूर्ण होना चाहिए। दूसरे से अच्छे व्यवहार की उम्मीद आप तभी कर सकते हैं जब आपके अंदर शिष्ट व्यवहार हो। याद रहे कि आप लोगों के बीच अपने सौंदर्य से नहीं बल्कि अपने व्यवहार से याद रखे जाते हैं। अपनी बोलचाल पर नियंत्रण रखें, किसी से ऊंची आवाज में बातें नहीं करनी चाहिए। यदि आप किसी के साथ बदतमीजी से पेश आते हैं तो आपके इस गंदे व्यवहार से आपका कोई सम्मान नहीं करेगा। अपने व्यवहार को कोमल बनाए रखें दूसरों के प्रति मन में किसी तरह की बैर भावना ना रखें। अपने मन को सदा साफ रखना चाहिए, अपनी सभ्यता का ध्यान जरूर रखें बस हो या ट्रेन हो आदि में सफर करते समय बालक, वृद्ध महिला या विकलांग को सीट पर बैठने स्थान दे देना चाहिए ताकि आप उनके सामने सर्वप्रिय बने रहे। अपने पारिवारिक सदस्यों और प्रियजनों से आदर पूर्वक बातचीत करें। किसी भी तरह के दुख दर्द में उनसे सहानुभूति से पेश आएं। जब किसी परिचित से मिले तो उनका तो दर्द जरूर सुने और उनका निवारण करें। अक्सर लोगों की आदत चुगल खोरी की होती है इस प्रकार का व्यवहार आपको निम्न स्तर का बनाता है आप अपनी इस चुगल खोरी की आदत को सुधार लीजिए और किसी की प्रकार की बुराई ना करें। यदि आपको किसी व्यक्ति से आप को घृणा है है तो चुप रहना ही आपके लिए सही होगा। चमड़ी से ज्यादा कार्य प्यारा होता है अतः घर हो या बाहर काम से जी चुराना नहीं चाहिए।
कई बार कुछ ऐसा समय भी आता है जब शिष्टाचार बेहद आवश्यक होता है जैसे यदि किसी लड़की की सगाई टूट जाती है तो उसमें दिए गए उपहार को रखना नहीं चाहिए शिष्टाचार यही है कि उपहारों को सधन्यवाद सहित कारण बताते हुए लौटा देना चाहिए। जिस उपहार को आपने इस्तेमाल करना शुरू कर दिया हो वह लौटाया तो नहीं जा सकता उसके लिए धन्यवाद का पत्र लिखकर उपहार ना लौटा पाने की क्षमा याचना करें, पर किसी लड़की की सगाई मे गलत बोलकर रिश्ते ना तोड़े, शिष्टाचार से आप संबंधों से विदा ले सकते हैं। वैसे कर्तव्य तो यही बनता है कि ऐसा कोई समय ना आए की बेटी की सगाई टूट जाए।
अक्सर कुछ लालची लोग होते हैं जिन्हें लेने की आदत होती है पर देने की आदत नहीं होती है और यदि कोई आपको पैसे धन इत्यादि देने की कोशिश करता है तो आप उसे प्रेम से इंकार करना सीखें। कोई अनजान व्यक्ति द्वारा रास्ता या पता पूछने पर उल्टा सीधा कहने की बजाय मर्यादित शब्दों का प्रयोग करते हुए उसका सही मार्गदर्शन करना चाहिए। किसी से टकराने या गिरने पर किसी के सामने खांसने छींकने पर सॉरी कहना सीखें। अपने घर की पारिवारिक समस्या में बुजुर्गों मित्रों व रिश्तेदारों से सलाह अवश्य जरूर ले और उनके साथ सुख के पल भी बिताएं। अपनी गलती को स्वीकार करने में ही भलाई होनी चाहिए। कोई भी वस्तु लेते समय धन्यवाद और किसी वस्तु को मांगते समय प्लीज शब्द का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। दूसरों की गलतियों को प्रोत्साहित करें और उनका उचित मार्गदर्शन करें। किसी पर क्रोधित होने की बजाए शिष्टाचार का व्यवहार अपनाएं, क्योंकि क्रोध में आकर कोई भी गलत कदम उठने पर बाद में आपको ही तकलीफ होगी। किसी की अवहेलना नहीं करनी चाहिए उनकी प्रशंसा में दो शब्द बोल कर उनका संबल बढ़ाना चाहिए। यह जरूर याद रखें यदि आप तारीफ पाना चाहते हैं तो दूसरों की तारीफ करना भी सीखें। यदि आप किसी परिचित से मिलने उनके घर जाते हैं तो उन्हें मुस्कुराकर प्रसन्नता जाहिर करते हुए आत्मीयता से पेश आए। बातचीत करते समय यदि आप से कोई भूल हो जाती है गलती हो जाती है तो विनम्र भाव से माफी मांग कर अपने शिष्ट आचरण का परिचय दीजिए। दूसरों की भावनाओं को समझें और उनकी कद्र करें। ऐसी बातें ना करें जिससे दूसरों की भावनाओं को चोट पहुंचे। किसी के तर्कों पर एकदम से ऐतराज करके उसकी आलोचना ना करें बल्कि उसकी दलीलों को ध्यान से सुने और अपने विचारों को उनके सामने रखें, लेकिन आपकी वाणी में शालीनता और सौम्यता जरूर होनी चाहिए।
— पूजा गुप्ता