सामाजिक

सोनपुर का मेला

सोनपुर का मेला जो कभी आजादी की योजना-स्थल के रूप में जाना जाता था, अब से आवाज दबाने के रूप में जाना जाएगा। जब कभी रिजनीति लड़खड़ाती है तो साहित्य आगे बढ़कर उसे थाम लेता है, वाला युग समाप्त हो रहा है। अब तो दोनों लड़खड़ा रहे हैं और दोनों एक-दूसरे से गुत्थम गुत्थ कर रहे हैं। ….सम्हालने के लिए नहीं, भ्रूण हत्या के लिए, समूल नाश के लिए। समाज का तथाकथित सचेतक वर्ग हाथ में तराजू लेकर निजी लाभ-हानि का अंदाजा लगा रहा है। पूरी तरह आश्वस्त हो जाने पर ही बोलना है या चुप रहना है, सुनिश्चित करेगा निजी हित के परिमाण और दिशा पर। अम्बर को दिगम्बर करने की चाहत आपको फर्जी विश्वविजेता सिकन्दर नहीं बल्कि हारा हुआ असहाय सिकन्दर बनाकर मार डालेगी।
— डॉ अवधेश कुमार अवध

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 [email protected] शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन