इन्तजार
आज दिल बहुत उदास था । कहते हैं भोर के सपने सचप्रकाशक होते हैं आज सुबह सपना आया विमल दा बहुत दूर खड़े है और कह रहे हैं सुमि चलें अब चलने का समय आगया । वह उसे सुमित्रा ना कह कर सुमि ही कहते थे । वह विमल दा को कैसे भूल जाये सगे भाई ना होकर भी वह उसकी व उसके परिवार की ढाल बन कर खड़े रहे । पापा के असमय निधन के बाद परिवार बिलकुल बिखर गया । मां अपना मानसिक सन्तुलन खो चुकी थी । सुमि उस समय बी .ए कर रही थी । उससे छोटे दो भाई थे । वह भी पढ़ रहे थे । विमल दा उसके पड़ोस में रहते थे पूरा परिवार था उनका पर छोटे भाई बहनों की शादी हो गयी और उन्होंने अपनी शादी नहीं की । जब उसकी सर्विस लग गयी व दोनों भाई भी सर्विस करने लगे । विमल दा एक बड़े भाई बन कर उसके संरक्षक रहे । एक दिन वह बोले सुमि अब तुम शादी कर लो । मै भी अब जिम्मेदारी से निपटना चाहता हूँ । तुम्हारे बाबूजी जिन्हें मै काका कहता था मेरे परिवार पर बहुत अहसान थे । मैने बहुत पूछा विमल दा आपने शादी क्यों नहीं की वह बहुत हंसे बोले अरे दो दो परिवार हैं मेरी शादी की कोई जरूरत नहीं थी । मै समझ रही थी उस दर्दीली हंसी को । किसी से पता लगा था कि जिस लड़की से ये बहुत प्यार करते थे वह असमय किसी गम्भीर बीमारी से दूर बहुत दूर चली गयी थी । बस उस दर्द को अन्दर ही अन्दर समाहित कर लिया था । मेरी भी शादी हो गयी मै अपने पति के साथ विदेश आगयी क्योंकि उनकी कम्पनी ने नयी ब्रान्च खोली थी । दोनों भाई विमल दा से मिलते रहते थे । मै बहुत समय से नहीं मिल पाई थी । बस फोन से बात कर लेती थी पर आज का सपना व्यथित कर रहा था । उसी समय फोन की रिंग बजी उसने उठाया देखा छोटे भाई का फोन था बोला दीदी विमल दा हमें छोड़ कर अनन्त यात्रा पर चले गये । कल आपको बहुत याद कर रहे थे। सुमि बहुत शान्ति से बोली हां छोटे मुझसे स्वप्न में मिल कर ही उन्होंने अपनी ना लौटने वाली यात्रा शुरू की है और रोने लगी । सोचने लगी जाओ विमल दा तुम्हारा प्यार भी कहीं दूर तुम्हारा इन्तजार कर रहा है।
— डा. मधु आंधीवाल