गीत/नवगीत

नव साल

हर झोली में वृद्धि पाए इस युग में नव साल।
एक क्रान्ति लेकर आए इस युग में नव साल।
नव युवकों में बौद्धक शक्ति उत्तम विद्या आए।
जैसे अम्बर भीतर तारे, सूरज चाँद समाए।
कूड़ नशा छल कपट भगाए इस युग में नव साल।
एक क्रान्ति लेकर आए इस युग में नव साल।
भिन्न-भिन्न फूलों भीतर है समता की खुशहाली।
एक ही जड़ की बिकसन से खिल जाए डाली-डाली।
दीमक से हर डाल बचाए इस युग में नव साल।
एक क्रान्ति लेकर आए इस युग में नव साल।
सत्ता में हो शुद्ध सियासत और बने अनुशासन।
रिश्वत भ्रष्टाचार से मुक्ति जनगण में प्रतिपादन।
एक सुन्दर संसार बनाए इस युग में नव साल।
एक क्रान्ति लेकर आए इस युग में नव साल।
हर घर में चूल्हा अपना अस्तित्व स्थापित रखे।
मानव अपने हर रिस्ते में प्यार सम्मिलित रखे।
सृजनता के फूल खिलाए इस युग में नव साल।
एक क्रान्ति लेकर आए इस युग में नव साल।
बालम मानवता के भीतर शिष्टाचार बनेगा।
सत्कार बने, किरदार बने, शुद्ध आचार बनेगा।
सरस्वती के दीप जगाए इस युग में नव साल।
एक क्रान्ति लेकर आए इस युग में नव साल।
— बलविंद्र बालम 

बलविन्दर ‘बालम’

ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब) मो. 98156 25409